होम थिएटर हो या एम्पलीफायर, स्टेबलाइजर हो या चार्जर, यूपीएस हो या इन्वर्टर लगभग सभी प्रकार के उपकरणों में आपने ट्रांसफार्मर (Transformer in HIndi) लगा हुआ देखा होगा। हो सकता है कि आपने transformer के इस्तेमाल से अपना कुछ प्रोजेक्ट भी बनाया होगा और खराब ट्रांसफार्मर को बदलकर उसके जगह पर नया ट्रांसफार्मर भी लगाया होगा।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये ट्रांसफार्मर क्या है या परिणामित्र क्या है? ट्रांसफार्मर का काम क्या है?ट्रांसफार्मर कितने प्रकार का होता है? ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर आधारित है? ट्रांसफार्मर की संरचना कैसी होती है? उच्चाई ट्रांसफार्मर और अपचायी ट्रांसफार्मर क्या है? ट्रांसफार्मर का प्रयोग कैसे किया जाता है? ट्रांसफार्मर का अविष्कार कब हुआ? ट्रांसफार्मर कैसे बनाये? ट्रांसफार्मर कैसे बनाया जाता है?
इन टॉपिक पर हम पहले ही कुछ पोस्ट लिख चुके हैं इसलिए यदि आप चाहें तो ट्रांसफार्मर की जानकारी से सम्बंधित हमारे सारे पोस्ट पढ़ सकते हैं। या फिर यदि आप चाहें तो सीधे इस पोस्ट transformer in Hindi पर आगे बढ़ सकते हैं। इस पोस्ट में आज हम आपको ट्रांसफार्मर की पूरी जानकारी हिंदी में देंगे।
Transformer in Hindi; ट्रांसफार्मर क्या है और इसका काम क्या है?
ट्रांसफार्मर एक ऐसा इलेक्ट्रिकल यन्त्र है जो किसी भी वैल्यू के AC volt को उससे कम या ज्यादा किसी भी वैल्यू के ac volt में बदल सकता है। आसान शब्दों में कहें तो ट्रांसफार्मर एक “एसी वोल्ट कनवर्टर” यन्त्र है। ट्रांसफार्मर को हिंदी में परिणामित्र भी कहा जाता है अर्थात ट्रांसफार्मर का हिंदी नाम परिणामित्र होता है। इसके इस्तेमाल से निम्नलिखित काम किये जा सकते हैं।
- किसी भी वोल्ट के एसी करंट को उससे ज्यादा किसी भी वोल्ट के AC सप्लाई में बदला जा सकता है। अर्थात, ट्रांसफार्मर के द्वारा लो वोल्टेज को हाई वोल्टेज में बदला जाता है।
- किसी भी वोल्ट के ac सप्लाई को उससे कम किसी भी लो वाल्ट के AC current में बदला जा सकता है। अर्थात, ट्रांसफॉमर के द्वारा high volt को low volt में बदला जाता है।
क्या ट्रांसफार्मर DC सप्लाई पर भी काम करता है?
ऊपर हमने Transformer in Hindi का जो परिभाषा दिया है उसमें सिर्फ एसी करंट की ही चर्चा की गयी है, इसलिए शायद आपके मन में ये सवाल उठ सकता है कि क्या ट्रांसफार्मर डीसी सप्लाई पर वर्क नहीं करता है! क्या ट्रांसफार्मर सिर्फ एसी सप्लाई पर ही वर्क करता है!
यदि आपके मन में ट्रांसफार्मर के बारे में इस तरह का सवाल हो तो आपके लिए ये बात जान लेना बहुत ही जरूरी है कि transformer सिर्फ-और-सिर्फ AC पर ही काम कर सकता है। इसका इनपुट भी एसी होगा और आउटपुट भी एसी ही होगा।
यदि आप इसका इस्तेमाल DC पर करना चाहेंगे तो इसके लिए सबसे पहले आपको DC supply को एक अलग सर्किट की सहायता से एसी में बदलना होगा और इसी AC करंट से ट्रांसफार्मर को इनपुट सप्लाई देना होगा।
क्या ट्रांसफार्मर का आउटपुट DC भी हो सकता है?
नहीं, ट्रांसफार्मर सिर्फ एसी ही लेगा और एसी ही आउट भी करेगा। आप चाहे इसमें सीधे ही एसी सप्लाई दें या फिर डीसी को एसी में बदलकर सप्लाई दें, ये हमेशा एसी करंट ही आउट करेगा। आप चाहें तो इसके आउटपुट एसी को रेक्टीफायर सर्किट के द्वारा dc करंट में बदल सकते हैं।
Parts of transformer: ट्रांसफार्मर के भाग कितने होते हैं?
किसी भी ट्रांसफार्मर की संरचना को समझने के लिए सबसे पहले आपको ट्रांसफार्मर के भाग या Parts of transformer को समझना होगा। किसी भी ट्रांसफार्मर में मुख्यतः निम्न भाग होते हैं…
1) Transformer Coil: ट्रांसफार्मर में कोइल का क्या काम है?
ट्रांसफार्मर में क्वाइल ही उसका मुख्य भाग होता है। Transformer in Hindi के क्वाइल में ही इनपुट एसी सप्लाई दिया जाता है और क्वाइल से ही आउटपुट एसी सप्लाई प्राप्त भी किया जाता है। किसी भी transformer में मुख्य रूप से निम्नलिखित 2 प्रकार का कोइल इस्तेमाल किया जाता है। इन दोनों क्वाईल के कम-से-कम 2-2 छोर होते हैं अर्थात इनमें से हरेक में से कम-से-कम 2-2 तार निकले हुए होते हैं।
i) Primary coil: ट्रांसफार्मर में प्राथमिक कोइल का क्या काम है?
ट्रांसफार्मर के जिस क्वाइल के दोनों तार पर इनपुट एसी करंट का सप्लाई देते हैं उसे प्राइमरी कोइल कहा जाता है। ट्रांसफार्मर में प्राइमरी क्वाइल का प्रतिरोध सबसे ज्यादा होता है। साथ ही प्राइमरी क्वाइल के बाईंडिंग में इस्तेमाल किया गया तार भी पतला होता है।
ii) Secondary coil: ट्रांसफार्मर में द्वितीय क्वाइल का क्या काम है?
ट्रांसफार्मर के जिस कोइल के दोनों तार से आउटपुट एसी करंट का सप्लाई प्राप्त किया जाता है उसे सेकेंडरी क्वाइल कहा जाता है। सेकेंडरी कोइल का प्रतिरोध प्राइमरी कोइल के प्रतिरोध की तुलना में कम होता है। साथ ही सेकेंडरी कोइल के बैंडिंग में इस्तेमाल किया गया तार भी प्राइमरी क्वाइल के अपेक्षा मोटा होता है।
ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर आधारित है या कार्य करता है?
ट्रांसफार्मर का एक coil इनपुट और दूसरा coil आउटपुट के लिए होता है लेकिन यदि आप ट्रांसफार्मर के बारे में पहली बार जान रहे हैं तो आपको ये बात जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि इन दोनों क्वाइल का आपस में किसी भी प्रकार का कोई इलेक्ट्रिकल कनेक्शन नहीं होता है।
कहने का तात्पर्य ये है कि इनके दोनों क्वाइल बिलकुल ही अलग-अलग होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे कोई भी 2 मोबाइल फोन अलग-अलग होते हैं और उनका आपस में किसी भी तरह का कोई electrical connection नहीं होता है।
यदि आप ये बात पहली बार जान रहे हैं तो शायद आप भी आश्चर्यचकित हो सकते हैं और ये सब आपको मैजिक जैसा लग रहा होगा। लेकिन हम आपको बता देना चाहेंगे कि इसमें आश्चर्य करने जैसी कोई बात नहीं है। सबसे पहले तो आपको ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत जान लेना चाहिए कि आखिर ट्रांसफार्मर किस सिद्धांत पर कार्य करता है या ये किस सिद्धांत पर आधारित है।
दरअसल transformer in Hindi, म्यूच्यूअल इंडक्शन (Mutual inductance) पर आधारित है और ये इसी सिद्धांत पर कार्य करता है। म्यूच्यूअल इंडक्शन के बारे में हम एक डिटेल्ड पोस्ट लिखेंगे जिसमें इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी जायेगी। तब तक आप इतना समझ सकते हैं कि ट्रांसफार्मर मैग्नेटिक या चुम्बकीय तरंगों पर कार्य करता है।
उदाहरण के लिए, जिस तरह से 2 स्मार्टफोन का आपस में कोई इलेक्ट्रिकल कनेक्शन नहीं होता है लेकिन फिर भी वे आपस में hotspot और wi-fi कनेक्शन के माध्यम से आपस में कनेक्ट हो जाते हैं ठीक उसी तरह से एसी सप्लाई दिए जाने के बाद ट्रांसफार्मर के दोनों क्वाइल भी चुम्बकीय गुणों की वजह से आपस में बिना किसी इलेक्ट्रिकल कनेक्शन के सिर्फ तरंग के माध्यम से जुड़ जाते हैं जिस वजह से उससे आउटपुट सप्लाई मिलने लगता है।
2) खोखला ढांचा
ट्रांसफार्मर के क्वाईल की बाईंडिंग एक खोखले और कुचालक सतह पर की जाती है।
3) Insulated Sheet: ट्रांसफार्मर में पेपर का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
खोखले सतह पर प्राइमरी कोइल की बैंडिंग पूरा हो जाने के बाद सेकेंडरी कोइल की वाइंडिंग शुरू करने से पहले, primary coil के वाइंडिंग को एक बेहद ही मजबूत पेपर (इंसुलेटेड शीट) से अच्छे से ढँक दिया जाता है ताकि दोनों कोइल किसी वजह से आपस में शार्ट न हो जाये।
प्राइमरी क्वाइल की वाइंडिंग पूरा होते ही उसे इस पेपर से अच्छी प्रकार से पैक कर दिया जाता है जिससे दोनों क्वाइल के बीच डायरेक्ट इलेक्ट्रिकल कनेक्शन नहीं हो पाता है। इसके बाद जब सेकेंडरी क्वाइल की वाइंडिंग भी पूरी हो जाती है तब सबसे अंत में एक इस क्वाईल को भी इस पेपर से अच्छी तरह से पैक कर दिया जाता है ताकि कोर और क्वाइल के बीच इलेक्ट्रिकल कनेक्शन न बने।
इस पेपर की खासियत ये होती है कि ये अधिक तापमान में भी जल्दी नहीं जलता है। ट्रांसफार्मर और उसका क्वाइल चाहे कितना भी गर्म क्यों न हो जाए ये पेपर बहुत हद तक उस तापमान को बर्दाश्त कर लेता है और जलता नहीं है। इस वजह से ट्रांसफार्मर के दोनों क्वाईल आपस में शोर्ट नहीं हो पाते हैं।
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4) कोर: ट्रांसफार्मर में कोर का क्या काम है?
ट्रांसफार्मर में चिकनी सतह और सुचालक धातु (सामान्यतः स्टील) का कोर लगाया जाता है जो कि सामान्य रूप से E और l टाइप का होता है। बहुत सारे कोर को जब transformer के खोखले भाग में अच्छे से टाइट करके भर दिया जाता है तब ट्रांसफार्मर पूरा हो जाता है और ये इस्तेमाल करने लायक बन जाता है। हालांकि विभिन्न तरह के transformer में विभिन्न तरह के कोर (E और I टाइप से अलग) का इस्तेमाल किया जाता है।
इसी कोर की वजह से ट्रांसफार्मर के प्राइमरी और सेकेंडरी क्वाईल के बीच चुम्बकीय कनेक्शन बन पाता है और बिना किसी आपसी सम्बन्ध के प्राइमरी क्वाईल से आउटपुट सप्लाई मिल पाता है। यदि बिना कोर के ही, ट्रांसफार्मर के क्वाईल में सप्लाई दे दिया जायेगा तो वो तुरंत ही जल जायेगा।
ट्रांसफार्मर कितने प्रकार के होते हैं?
इस्तेमाल के आधार पर निम्नलिखित 3 प्रकार से ट्रांसफार्मर का वर्गीकरण किया गया है। अर्थात transformer निम्नलिखित 3 प्रकार का होता है…
1) उच्चाई ट्रांसफार्मर: Step up transformer in Hindi
जिस ट्रांसफार्मर से लो वोल्टेज को हाई वोल्टेज में बदला जाता है उसे स्टेप अप ट्रांसफार्मर कहते हैं। स्टेप अप transformer के प्राइमरी कोइल की अपेक्षा सेकेंडरी क्वाइल में अधिक टर्न की वाइंडिंग की होती है।
स्टेप अप ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल अधिकांशतः बैटरी इन्वर्टर में किया जाता है जिस वजह से इसे इन्वर्टर ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है। साथ ही step up transformer को उच्चायी ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है।
2) अपचायी ट्रांसफार्मर: Step down transformer in Hindi
जिस transformer के माध्यम से हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज में बदला जाता है उसे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं। स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर में सेकेंडरी क्वाइल की अपेक्षा प्राइमरी क्वाइल की वाइंडिंग में ज्यादा टर्न होते हैं।
किसी भी बैटरी के चार्जर, होम थिएटर और एलिमिनेटर में स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल देखा जा सकता है। इस ट्रांसफार्मर को हिंदी में अपचायी ट्रांसफार्मर कहा जाता है।
3) ऑटो ट्रांसफार्मर: Auto Transformer in Hindi
जिस transformer से स्टेप अप ट्रांसफार्मर और स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर दोनों का काम एक साथ लिया जा सके उस transformer को ऑटो ट्रांसफार्मर कहते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो ऑटो ट्रांसफार्मर से लो वोल्टेज को हाई वोल्टेज में भी बदला जा सकता है और हाई वोल्टेज को लो वोल्टेज में भी बदला जा सकता है।
Auto transformer in Hindi में प्राइमरी क्वाइल और सेकेंडरी क्वाइल की जगह पर सिर्फ एक ही क्वाइल लगाया जाता है और उसी क्वाइल से बहुत सारा कनेक्शन वायर निकाल दिया जाता है।
इतने तार में से एक तार को कॉमन रखा जाता है और बाकी के बचे हुए तार में से 2 तार लिया जाता है जिसमें एक में इनपुट और एक में आउटपुट का कनेक्शन किया जाता है। किसी भी सर्किट के जरूरत के अनुसार ऑटो ट्रांसफार्मर में कॉमन, प्राइमरी और सेकेंडरी तार का चुनाव किया जाता है। ऑटो ट्रांसफार्मर का इस्तेमाल स्टेबलाइजर और यूपीएस में देखा जा सकता है।
ट्रांसफार्मर में इनपुट और आउटपुट वोल्टेज (और करंट) की लिमिट क्या होती है?
जिस प्रकार से किसी भी व्यक्ति के काम करने की एक क्षमता होती है ठीक उसी प्रकार से ट्रांसफार्मर के इनपुट और आउटपुट की भी एक क्षमता होती है। यदि आप किसी ट्रांसफार्मर के क्षमता से ज्यादा उस पर लोड दे देंगे तो वो जलकर खराब हो जायेगा।
ट्रांसफार्मर में इनपुट वोल्टेज की लिमिट क्या होती है?
किसी भी ट्रांसफार्मर में कितना वोल्ट इनपुट देना होता है और कितना वोल्ट आउटपुट लेना है इसी बात को ध्यान में रखकर तभी कोई transformer in Hindi तैयार किया जाता है। आमतौर पर रिपेयरिंग के कामों में इस्तेमाल किए जानेवाले ट्रांसफार्मर में 220V एसी का सप्लाई दिया जाता है।
उद्दहरण के लिए, यदि आपको किसी ट्रांसफार्मर में 1000V का सप्लाई देना है तो आपको transformer बनाने वाले मैकेनिक से संपर्क करना होगा क्योंकि आमतौर पर ऐसा ट्रांसफार्मर मार्केट में उपलब्ध नहीं होता है।
ट्रांसफार्मर में आउटपुट वोल्टेज की लिमिट क्या होती है?
ट्रांसफार्मर का आउटपुट वोल्टेज आपके जरूरत के अनुसार निर्भर करता है। यदि आपको 12V की जरूरत है तो आप 12 वोल्ट का transformer खरीदिये, यदि इससे अलग किसी वोल्ट की जरूरत है तो उतने वोल्ट का ही ट्रांसफार्मर खरीदिये जितने की आपको जरूरत हो।
ट्रांसफार्मर में आउटपुट करंट की क्या लिमिट है?
जिस प्रकार से आप अपने जरूरत के आउटपुट वोल्ट का ट्रांसफार्मर खरीद सकते हैं ठीक उसी प्रकार से आप अपने जरूरत के आउटपुट करंट के लिए भी transformer खरीद सकते हैं। यदि आपकी जरूरत सिर्फ 2 एम्पेयर करंट की है तो आप 2 एम्पेयर का ट्रांसफार्मर खरीद सकते हैं।
लेकिन यदि आपकी जरूरत इससे ज्यादा या कम करंट की है तो उतने करंट का ही transformer खरीदें जितने की आपको जरूरत हो। यदि आप कम आउटपुट करंट वाले ट्रांसफार्मर पर ज्यादा करंट के सर्किट का लोड दे देंगे तो आपका ट्रांसफार्मर जल जाएगा।
सीधे शब्दों में कहें तो transformer की कोई लिमिट नहीं होती है। ये आप पर निर्भर करता है कि आपको कितने वोल्ट और कितने एम्पेयर के ट्रांसफार्मर की जरूरत है।
Transformer price in india: ट्रांसफार्मर की कीमत कितनी होती है?
सामान्यतः किसी भी ट्रांसफार्मर की कीमत उसके इनपुट वोल्टेज और आउटपुट करंट पर निर्भर करती है। Transformer in Hindi चाहे 12V आउटपुट का हो या 18V का या 24V का, यदि सभी का आउटपुट करंट बराबर एम्पेयर में है तो सभी का रेट भी लगभग बराबर ही होगा।
आमतौर पर मध्यम क्वालिटी के 1 एम्पेयर transformer की कीमत 100 रूपये, 1.5A ट्रांसफार्मर की कीमत 125 रूपये, 2 एम्पेयर transformer की कीमत 150 रूपये होती है। इसी प्रकार से आप जितने ज्यादा एम्पेयर का ट्रांसफार्मर लेंगे उसकी कीमत बढ़ती जायेगी। साथ ही, 200W के ऑटो ट्रांसफार्मर की कीमत 250 रूपये और 300W के auto transformer की कीमत 300 रूपये होती है। (ये रेट मैं अपने यहाँ के मार्किट के आधार पर बता रहा हूँ.)
यहाँ एक बात का ध्यान रहे कि, यदि 1 एम्पेयर transformer price 100 रूपये है तो जरूरी नहीं कि 2 एम्पेयर के ट्रांसफार्मर की कीमत 200 रूपये ही होगी। कहने का तातपर्य ये है कि सभी एम्पेयर के ट्रांसफार्मर की कीमत अलग-अलग होती है और किसी दुसरे एम्पेयर के ट्रांसफार्मर के कीमत से उसका किसी भी प्रकार का कोई सम्बन्ध नहीं होता है।
आपको Transformer in Hindi और transformer kya hai की हमारी ये जानकारी कैसी लगी कमेंट करके हमें जरूर बताएं और यदि ट्रांसफार्मर के बारे में आपका कोई सवाल हो तो आप पूछ सकते हैं। इस पोस्ट के माध्यम से आपको कुछ भी मदद मिली हो और यदि आप भी हमारी कोई मदद करना चाहते हैं तो अपना कुछ समय इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर शेयर करने में जरूर दें और हमारे ऐसे ही पोस्ट को सबसे पहले पढ़ने के लिए हमें सब्सक्राइब जरूर कर लें।
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थैंक्यू मनीष जी.
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आज भी बहुत सारे लोग ट्रांस्फेर्मेर को हिंदी में क्या कहते है नहीं पता लेकिन मुझे तो आपकी पोस्ट पढ़कर ज्ञात हो गया
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Transformer kis ke madhyam par karya karta hai.
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माफ़ करियेगा ख़ुशी जी, इस लेख में हमने जो जानकारी साझा की है उससे ज्यादा जानकारी फिलहाल हमारे पास मौजूद नहीं है.
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Ye sb mne 11 class me physics ki book m pdha tha
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Thanks Manish ji.
Transformer hmare aas pass hote h fr b hme uske bare m kuch PTA ni hota nice yr
जी धन्यवाद.
Bhai mujhe Science subject meh bada interest hai, aur main kai dino se transform ke baare me aur woh kam kaise karta hai ye jana chahte tha, kai sare blog dekhe maza nhi aya apne itne aache tarike se smjhaya hai ki padthe wakt maza aa raha tha aur smjh meh bhi aa gaya, aaj se apke blog ko follow karne wala hoon main.
जी धन्यवाद राहुल जी.
Bhut badiya article.
धन्यवाद योगेश जी.
mja aa gya sir padh kar bahut bahut dhanyawad apka
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थैंक्यू सुकेश जी, लेकिन ये विडियो नहीं पोस्ट है. आपको जो भी कहना हो आप हमें an*************@gm***.com पर मेल कर सकते हैं.
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सॉरी, आप हमें ईमेल कर सकते हैं. मेरी उम्र 21 साल है इसलिए प्लीज आप हमें सर न कहें.
Sir ye jo bijli wale d.p lgate h usme wo uper gol gol dibba hota h wo kya hota h ?
सॉरी सुमेर सिंह जी, या तो मैं आपका सवाल नहीं समझ पाया या फिर मुझे आपके सवाल का जवाब मालूम नहीं है.
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?? kitni khani likha hai tone.. ?? seedhe baat khni nhi aaati
Ye aapka ghar nahin hai, isliye is website par sahi language ka use karein. Thanks for your comment, I hope ki aap apne ghar mein bhi isi tarah se baat karte honge.
I’m Student of diploma electrical engineering department very nice information about transformer
Welcome dear Sohan, best of luck for your Engineering career.
बहुत अच्छा लिखा है आपने
धन्यवाद पवन जी.
Transformer kya hai ke baare mein aapne achhi jaakari di.
Thankyou Deepak ji.
Very Nice Post Aisa Hai Post Ki Man Kar Raha Hai Padhne Ko Khub Mast Likhe Hai
Thanks Nitish ji, keep visiting.
Mere paas do 12 0 12 , 5amp transformer ha,to kya main dono Ko jodker 10amp transformer bana Sakta hu agar ban Sakta ha to plz aap mujhe bta dijiye ..
दिनेश जी, आपके ही तरह ये बात मेरे मन में भी आयी थी लेकिन मैंने कभी प्रयास नहीं किया. लेकिन जहाँ तक कि मेरा एक्सपीरियंस है, आप ऐसा ट्राई कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि दोनों ट्रांसफार्मर के आउटपुट को अलग-अलग डीसी में कन्वर्ट करने के बाद आपको इनका पैरेलल कनेक्शन करना है, न कि डायरेक्ट ट्रांसफार्मर के आउटपुट एसी पर.
बहुत अच्छा पोस्ट किया है आपने, ट्रांसफार्मर की पूरी जानकारी मिल गयी ।
धन्यवाद दीपक जी, लेकिन इसमें ट्रांसफार्मर की पूरी जानकारी नहीं है बल्कि ये सिर्फ बेसिक जानकारी है.
Thanks for sharing this valuable information with us it is really helpful article!
Welcome Indrajeet ji.
Transformer ki input or output kaise Pata karte Hai us me to Kai taar hote Hai
Aap transformer ke donon coil ke taar par multimeter se resistance check kariye. Jis coil ke donon wires ke bich kam resistance hoga wo output hoga aur jis par jyada resistance hoga wo input hoga.
Tnx ,me ek sabal hai kis transformer ki khamata jada hai shell type ya core type
Joy ji, mujhe core type ke transformer par work karne ka experience nahin hai isliye is topic par main kuchh nahin kah sakta.
bhut accha likha h
Thankyou sonu ji, keep visiting.
Thanks
Welcome Satish ji.
Transformer se निकली current se shock kyu nahi lagta
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Shailendra yadav ELECTRICIAN I.T.I JOB KI JARURAT HAI
सॉरी शैलेन्द्र जी, इस बारे में मैं आपकी कोई हेल्प नहीं कर सकता.
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Thankyou Haidar Khan ji.
appkay post kaffi lajwab hai aur aapka details me ja kar chijj ko btana mujhay kaffi paassnd aaya aasha karta hu ki aap aur post daltay rhengay
Badiya jaankari di hai sir aapne
जी धन्यवाद.