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Home » History » विलुप्त हो चुके Top 10 Vilupt Electric Gadgets

विलुप्त हो चुके Top 10 Vilupt Electric Gadgets

Posted by: Anand Kumar  |  On: Aug 19, 2022  |  Updated on: Aug 19, 2022

Top 10 Vilupt Electric Gadgets list: एक जमाना था जब सन्देश को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुँचाने के लिए ख़त (चिट्ठी) लिखा जाता था जिसे गंतव्य स्थान तक पहुँचने में कई दिनों का समय लग जाया करता था, और एक आज का समय है जब बड़ी-से-बड़ी जानकारी भी चुटकियों में अपने गंतव्य तक पहुंचा दिए जाते हैं।

चाहे फोन या मोबाइल के माध्यम से स्पीच के रूप में सन्देश पहुँचाना हो या फिर ईमेल के द्वारा डिजिटल फाइल के रूप में, पलभर में सूचनाएं इधर-से-उधर पहुँच जाती हैं और ये सब संभव हुआ है टेक्नोलॉजी के विस्तार की वजह से। लेकिन जहाँ टेक्नोलॉजी की बात हो वहां इलेक्ट्रिसिटी अर्थात बिजली की बात न हो ऐसा हो ही नहीं सकता।

Vilupt Electric Gadgets

इलेक्ट्रिसिटी की खोज के बाद से ही तकनीक इतना विकसित हो पाया कि आज सारे काम हमारी चुटकियों में सिमट कर रह गए हैं। एक तरफ जहाँ टेक्नोलॉजी के नवीनीकरण से हम नित नए उपकरणों से परिचित होते जा रहे हैं तो वहीं बहुत सारे आविष्कार ऐसे भी हैं जो अब इतिहास बनकर रह चुके हैं।

आज के इस पोस्ट में हम इतिहास बन चुके ऐसे ही कुछ इलेक्ट्रिक उत्पादों में बारे में बताने जा रहे हैं, कुछ समय पहले तक जिनके बिना जिन्दगी आधी-अधूरी सी लगती थीं।

CFL Bulb (सीएफएल बल्ब) – Vilupt Electric Gadgets

इसमें कहीं कोई दो राय नहीं कि थॉमस ऐल्वा एडीसन सर के द्वारा अविष्कार किये गए फिलामेंट वाला बल्ब जो कि पीली रोशनी के साथ जलता था और अभी भी 10 रूपये तक में आसानी से मार्केट में मिल जाते हैं, अपने-आप में एक महत्त्वपूर्ण और क्रांतिकारी आविष्कार था। लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ये बल्ब बहुत ज्यादा बिजली की खपत करता है इसलिए सफ़ेद रोशनी के साथ जलने वाले CFL बल्ब ने आसानी से इस बल्ब का जगह ले लिया।

Vilupt Electric Gadgets सीएफएल बल्ब ने लगभग 80% तक बिजली खर्च को कम कर दिया था लेकिन इस बल्ब की सबसे बड़ी कमी ये थी कि इसका प्रकाश करने वाला भाग जिसे कि ट्यूब भी कहा जाता है, ये हल्की-सी भी ठोकर लगने पर टूट जाती थी जिसे चेंज करवाने में अच्छी-खासी रकम खपत हो जाती थी। हालांकि ये प्रॉब्लम पीली रोशनी देने वाले बल्ब के साथ भी थी लेकिन वो 10 रूपये में ही नया मिल जाता था जबकि CFL बल्ब के लिए सैकड़ों रूपये खर्च करने पड़ते थे।

धीरे-धीरे टेक्नोलॉजी ने और भी ज्यादा तरक्की की और सीएफएल से भी बढ़िया आविष्कार LED बल्ब के रूप में हमारे सामने आया। इस बल्ब के आने से फिर से न सिर्फ बिजली बिल में लगभग 50% तक की बचत हुई बल्कि फिजिकल टूट-फूट की समस्या से भी निजात मिली। चूंकि इस बल्ब में, ऊपर शीशे की ट्यूब के बजाये आतंरिक भाग में कुछ LED लगे होते हैं जो कि ब्रेकप्रूफ होते हैं इसलिए इसके टूट-फूट की संभावना भी लगभग 0 के बराबर ही है।

आज जब 50 से 100 रूपये में ही सालों-साल चलने वाला LED बल्ब मौजूद है तो फिर जाहिर-सी बात है कि लोग CFL के चक्कर में भला क्यों पड़ेंगे! आश्चर्य की बात तो ये है कि सबसे पुराना पीली रोशनी वाला बल्ब अभी भी हमलोगों के बीच है लेकिन बाद में आये CFL बल्ब अब हमलोगों के बीच से लगभग गायब ही हो गया है।

Torch (टॉर्च)

आज के समय में लगभग हरेक गाँव और हरेक घर तक बिजली पहुंचाई जा चुकी है लेकिन उस दौर को बीते हुए भी ज्यादा समय नहीं हुआ है जब बिजली की पहुँच बस कुछ शहरों तक ही सीमित थी। उस समय लोग अपने घरों में रात में उजाला करने के लिए लालटेन और दीये का इस्तेमाल किया करते थे।

चूंकि हम किसान परिवार से हैं और हमारा पूरा पैतृक गाँव ही कृषि से जुड़ा हुआ है, हमलोगों का रात के समय भी घर से बाहर निकलना हुआ करता था। हमें वो दिन बहुत अच्छे से याद है जब लोग रात में घर से बाहर निकलते समय अँधेरे से बचने के लिए टॉर्च का इस्तेमाल किया करते थे।

टॉर्च, जो कि 1.5 वोल्ट के एक से ज्यादा सेल (बैटरी) से चला करते थे; ये भी बहुत तरह के होते थे। कुछ टॉर्च पीली रोशनी के साथ जलने वाले होते थे तो कुछ टॉर्च सफ़ेद रोशनी के साथ भी जलते थे। कुछ टॉर्च में बैटरी डाउन हो जाने के बाद नया बैटरी डालना होता था तो कुछ टॉर्च रिचार्जेबल भी होते थे।

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लेकिन आज बिजली लगभग हरेक गाँव तक पहुंचाई जा चुकी है और लगभग हरेक बिजली के खम्भे पर बल्ब लगे होते हैं, और साथ ही अब मोबाईल फोन में ही फ़्लैशलाइट लगा होता है जो कि Vilupt Electric Gadgets टॉर्च का काम करता है इसलिए अब टॉर्च भी इस्तेमाल के दायरे से लगभग बाहर ही हो गया है।

हालांकि कुछ हद तक बुजुर्ग लोग अभी भी अपने पास टॉर्च रखते हैं लेकिन ऐसे लोगों की संख्या अब न के बराबर ही रह गयी है। स्मार्टफोन के आ जाने से न सिर्फ टॉर्च का रोजगार छीन गया बल्कि बहुत सारे इलेक्ट्रिक और नॉन-इलेक्ट्रिक उपकरण भी अब इस्तेमाल के दायरे से लगभग बाहर ही होने लग गए हैं।

Radio (रेडियो) – Vilupt Electric Gadgets

आज टेक्नोलॉजी इतना विकसित हो चुका है कि हम चीजों को विडियो के फॉर्म में अपने मोबाइल फोन में लाइव देख सकते हैं लेकिन कुछ साल पहले तक ऐसा बिलकुल भी नहीं था। हम ज्यादा नहीं, बस 10-15 साल ही पुरानी बातें कर रहे हैं।

मुझे आज भी वो दिन याद है जब हमारे पैतृक घर में फिलिप्स का एक छोटा-सा रेडियो हुआ करता था और वो रेडियो 1.5 वोल्ट के 3 सेल्स की सहायता से चला करती थी। चूंकि खुद का ही एक दुकान था जिसमें 1.5 वोल्ट वाली ये सेल भी बेची जाती थी, इसलिए हम कभी ये नोटिस नहीं कर पाए कि आखिर एक बार सेल डालने पर रेडियो कितने दिनों तक चलता था!

ये वो दौर था जब हमारे गाँव में बहुत लोगों को टेलीविज़न के बारे में मालूम भी नहीं हुआ करता था। उस समय कुछ गिने-चुने घरों में बस रेडियो ही हुआ करती थीं जिसमें एक घर हमारे अभिभावक का भी था। उस समय रेडियो पर अगर पहले से सुना हुआ कोई गीत सुनने को मिल जाता तो मन वैसे ही प्रसन्न हो जाया करता था।

कैसेट प्लेयर (ऑडियो प्लेयर)

रेडियो पर उपलब्ध चैनल्स पर प्रसारित किये जाने वाले प्रोग्राम्स के तहत समाचार और मनोरंजन से सम्बंधित तरह-तरह के कंटेंट लोगों के बीच परोसे जाया करते थे लेकिन इसमें एक कमी ये थी कि आप सिर्फ चैनल ही बदल सकते थे न कि अपने मन का कोई कंटेंट सुन सकते थे।

ऐसे में कैसेट प्लेयर एक बहुत बड़ा उपकरण साबित हुआ जिसमें आप जब चाहें अपने पसंद के सामग्री जैसे कि गाना या मूवीज के डायलॉग्स इत्यादि सुन सकते थे। इसके लिए बस आप-अपने मनपसंद सामग्री वाले कैसेट, प्लेयर में लगाओ और फिर मनोरंजन की दुनिया में खो जाओ। हालांकि ये एक अलग बात है कि कैसेट खरीदने या भाड़े पर लेने के लिए अच्छे-खासे पैसे ख़त्म हो जाते थे।

अगर मैं सही से याद कर पा रहा हूँ तो 2006 तक मैंने इस उपकरण का इस्तेमाल किया था और सच कहूं तो उस समय इसका इस्तेमाल करते हुए ऐसा लगता था जैसे कि मैं किसी दूसरी दुनिया में पहुँच गया हूँ। लेकिन फिर इसके बाद घर में टेलीविज़न आ गया और फिर हम उसकी दुनिया में खो गए। कैसेट प्लेयर की दुनिया कब अस्तित्तव से बाहर हो गयी नोटिस ही नहीं कर पाया।

Tape Recorder (टेप रिकॉर्डर) – Vilupt Electric Gadgets

बचपन का वो दिन मुझे बार-बार याद आ जाता है जब पहली बार मैंने अपनी रिकार्डेड आवाज़ को किसी कैसेट प्लेयर में सुना था। हालांकि वो टेप रिकॉर्डर कम (Cum=सहित) कैसेट प्लेयर था लेकिन उस समय अपनी ही आवाज़ को पहले रिकॉर्ड करना और फिर उसे बार-बार सुनना, ऐसा महसूस करा रहा था जैसे कि मैं किसी जादुई दुनिया में पहुँच गया हूँ।

हालांकि वो एक मॉडर्न टेप रिकॉर्डर था जो कि उस समय पर बहुत चलन में था, लेकिन मल्टीमीडिया मोबाइल फोन ने कब इनका भी रोजगार छीन लिया पता ही नहीं चला।

VCD & DVD Player (वीसीडी और डीवीडी प्लेयर)

आज अगर हमें कोई मूवी देखना हो तो हम मोबाईल में इन्टरनेट के माध्यम से कुछ ही सेकंड में उस मूवी को खोज लेते हैं और देखने लग जाते हैं। लेकिन अगर बात करें कुछ साल पहले तक की, खासकर भारत (इंडिया) की, तो रिलायंस जियो के आने से पहले तक इन्टरनेट पर मूवी देख पाना हर किसी के लिए संभव नहीं हो पाता था।

उस समय लोग मार्केट से या फिर किराए पर VCD या DVD (सामान्य भाषा में “कैसेट” जो कि गोलाकार होता है) खरीदकर लाते थे और उसे अपने घर पर Vilupt Electric Gadgets VCD या DVD प्लेयर में लगाकर मूवी या सॉंग वगैरह देखा करते थे।

  • बेकार पड़े VCD और DVD प्लेयर का इस्तेमाल
  • अपने घर का बिजली बिल कैसे निकालें

इन दोनों ही प्लेयर्स में अंतर ये होता था कि VCD प्लेयर में एक मूवी देखने के लिए 2 कैसेट की जरूरत पड़ती थी जबकि एक ही DVD कैसेट में लगभग 3-5 मूवीज लोड हो जाती थी। VCD प्लेयर में सिर्फ वीसीडी कैसेट ही प्ले हो सकता था जबकि डीवीडी प्लेयर में डीवीडी कैसेट के साथ-साथ वीसीडी कैसेट भी प्ले हो जाती थी।

हालांकि आज भी डीवीडी या वीसीडी कैसेट का इस्तेमाल जरूरी डाटा या मेमोरेबल विडियोग्राफी इत्यादि को स्टोर करने के उद्देश्य से किया जाता है लेकिन अब इनका इस्तेमाल सिर्फ कंप्यूटर या लैपटॉप में ही किया जाता है। डीवीडी प्लेयर और वीसीडी प्लेयर न सिर्फ इस्तेमाल से बाहर हो गए बल्कि अब मार्केट में इसके पार्ट्स मिलने भी लगभग-लगभग बंद ही हो गए हैं।

B&W Television (ब्लैक एंड व्हाईट टेलीविज़न)

हमारे घर में जब पहली बार 2006 में टेलीविज़न आया तो वो 14 इंच का कलर टेलीविज़न था जो हमारे मनोरंजन के साधनों में से सबसे बड़ा साधन बन गया था। लेकिन मेरे सिस्टर के ससुराल में बहुत पहले से ही एक ब्लैक एंड व्हाईट टेलीविज़न विराजमान था जो कि लगभग जर्जर हो चुकी स्थिति में ही था।

हमें आज भी 2007 के आसपास के समय के सिस्टर की ससुराल का वो दृश्य याद है जब उसी Vilupt Electric Gadgets ब्लैक एंड वाइट टेलीविज़न पर मूवीज को देखने के लिए लोगों की लम्बी लाइन लग जाया करती थीं। सच कहें तो जितना मजा हमें अकेले घर में कलर टेलीविज़न पर प्रोग्राम्स को देखने में आता था उससे कहीं ज्यादा मजा उस भीड़ के साथ ब्लैक एंड वाइट टीवी पर झिलमिल करते हुए दृश्य के साथ मूवीज देखने में आता था।

मेरे सिस्टर के ससुराल की वो टीवी मेरे लाइफ की पहली और आखिरी ब्लैक एंड वाइट टीवी थी जिसे मैंने वर्किंग कंडीशन में देखा था। सच कहूं तो मेरे लिए ये विश्वास करना भी मुश्किल होता कि Vilupt Electric Gadgets ब्लैक एंड वाइट (सादा) टीवी जैसी भी कोई चीज हुआ करती थी, अगर मैंने अपने आँखों से देखा नहीं होता तो।

  • टेलीविज़न कितने वाट का होता है?
  • गाँव के टेलीविज़न की कहानी

Antenna (ऐन्टेना) – Vilupt Electric Gadgets

बात अगर सादा टीवी की हो, और ऐन्टेना (सामान्यतः एंटीना) का जिक्र न हो तो बातें आधी-अधूरी सी लगती हैं। एक समय ऐसा था जब न तो DTH हुआ करता था, न मोबाइल और न ही VCD या DVD प्लेयर। उस समय सादा टेलीविज़न भी गिने-चुने लोगों के पास ही हुआ करता था।

लोगों के पास अपनी मर्जी का कंटेंट देखने का कोई आप्शन नहीं होता था। उस समय नेशनल चैनल दूरदर्शन पर कुछ मनोरंजक और ज्ञानवर्धक कंटेंट प्रसारित किये जाते थे जिन्हें लोग बड़े ही चाव से देखा करते थे।

टेलीविज़न को दूरदर्शन नामक चैनल से कनेक्ट करने के लिए छत पर ऊंचाई पर एक ऐन्टेना लगाया जाता था जिससे शायद ही किसी को पूरी तरह से साफ़-साफ़ पिक्चर दिखने को मिलता हो। ऐन्टेना के माध्यम से प्रसारित हो रहे पिक्चर न सिर्फ हलके धुंधले-से होते थे बल्कि वो कई तरह से डिफेक्टेड भी होते थे।

रह-रहकर पिक्चर का हिलने लग जाना, ऊपर-नीचे स्लाइड होने लग जाना, पिक्चर का ही गायब हो जाना, झिलमिलाहट इत्यादि समस्याएँ होने के बावजूद भी अपने समय में Vilupt Electric Gadgets ऐन्टेना बहुत ही ज्यादा फेमस यन्त्र हुआ करता था और इसे छत पर सही से सेट कर कर सकने वाला व्यक्ति भी किसी इंजीनियर से कम नहीं समझा जाता था।

Telehopne (टेलीफोन) – Vilupt Electric Gadgets

एक जमाना था जब सन्देश को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने के लिए डाकघर की सेवाएं ली जाती थी लेकिन टेलीफोन का अविष्कार हो जाने से कुछ हद तक डाकघर का लोड कम हो गया था। आज जबकि नवीनतम टेक्नोलॉजी के साथ स्मार्टफोन ने लगभग हर घर में अपनी पकड़ बना ली है, टेलेफोन का जमाना भी लगभग-लगभग ख़त्म हो गया है।

उस दौर को बीते हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है जब दूर बैठे अपने परिचित से बात करने के लिए 2 या इससे भी ज्यादा रूपये प्रति मिनट के हिसाब से पेमेंट करने के बाद भी घंटों लाइन में लगना होता था। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि Vilupt Electric Gadgets टेलीफोन का जमाना ख़त्म ही हो गया है।

चूंकि टेलीफोन, मोबाइल फोन के जैसे एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जाया जा सकता है इसलिए आज के समय में भी टेलीफोन का इस्तेमाल ऑफिसियल या कमर्शियल कामों में, और साथ ही बड़े घरों में ही किया जाता है। लकिन आज जबकि हरेक आदमी के हाथों में स्मार्टफोन पहुँच चुका है, ऐसे में आम आदमी के लिए टेलीफोन लगभग-लगभग बेकार ही हो चुका है।

फीचर फोन (कीपैड वाला मोबाइल) – Vilupt Electric Gadgets

आज जमाना स्मार्टफोन का है जहाँ बड़े-से-बड़े काम सिर्फ फोन को टच कर लेने से या फिर सिर्फ बोल देने से ही हो जाते हैं। लेकिन उस जमाने को बीते हुए भी ज्यादा समय नहीं हुआ है जब सिर्फ ‘S’ लिखने के लिए 7 नम्बर वाले बटन को लगातार 4 बार दबाना होता था। और उस जमाने को बीते हुए भी ज्यादा समय नहीं हुआ जब मोबाइल फोन रखने वाले सख्स को धनी लोगों में गिना जाता था।

अगर हम अपने पैतृक गाँव का उदाहरण दें, तो 2006 तक तो किसी को मालूम भी नहीं था कि मोबाइल जैसी भी कोई वस्तु होती है। अगर मैं सही से याद कर पा रहा हूँ तो 2007 में मैंने पहली बार मोबाइल के बारे में पहली बार सुना और उसे देखा था। उस समय ये हमलोगों के लिए किसी जादुई वस्तु से कम नहीं थी जो कि बिना किसी तार के ही हमें दूर बैठे लोगों से बात करवा देती थी।

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बहरहाल 2016 तक लोगों को 1-1 GB इन्टरनेट के लिए लगभग 300 रूपये तक खर्च करने पड़ते थे जिस वजह से बहुत से लोगों को इन्टरनेट का असली मतलब भी पता नहीं हुआ करता था। लेकिन जैसे ही रिलायंस Jio ने फ्री डाटा देना शुरू किया पब्लिक इनकी ओर आकर्षित हुई और फ्री डाटा के चक्कर में 4G तकनीक से लैस स्मार्टफोन खरीदने को विवश हो गई।

आज के समय में शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहाँ 4G स्मार्टफोन मौजूद न हो, ऐसे में  फोन या कीपैड वाले मोबाइल फोन की क्या अहमियत रह जाती है ये आप खुद समझ सकते हैं।

हालांकि ऐसा भी नहीं है कि फीचर फोन पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है, अभी भी हमारे देश में बहुत सारे लोग हैं खासकर सीनियर सिटीजन्स जिनके लिए मोबाइल फोन का मतलब बस बात करने भर से है। कुछ वर्ग ऐसे भी हैं जो आर्थिक कंडीशन सही न होने की वजह से ही सही, अभी भी फीचर फोन का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन अगर मोटेतौर पर देखा जाए तो फीचर फोन का ज़माना अब ढलने के कगार पर ही है।

Summary:-

तो ये थे उन टॉप 10 इलेक्ट्रिक उपकरणों के लिस्ट जो आज से 10-15 साल पहले तो इस्तेमाल में थे लेकिन आज के समय में इनकी उपयोगिता लगभग-लगभग ख़त्म ही हो चुकी है। आज 2022 में हमारी उम्र 20-25 साल के बीच है और हमने अपने जीवन में इन उपकरणों को न सिर्फ देखा है बल्कि इनके साथ जिदगी के कुछ यादगार पल गुजारे भी हैं।

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Hi guys, I am Anand from Begusarai, Bihar. The purpose of the information sharing website i.e. electguru.com blog is to provide all kinds of such information related to Electrical & Electronics. Thanks & keep visiting...

Comments [ 1 ]

  1. Liana Hermiston says

    Feb 21, 2024 at 11:02 AM

    You have a true talent for writing.

    Reply

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